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सेवा सदन

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बीसवीं सदी के अंत में देश में प्रचलित सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए, मुंशी प्रनेशचंद के सेवासदन (1918) में सुमन की मार्मिक कहानी है, जो दहेज प्रथा की बुराइयों के कारण दुखी, बेमेल विवाह में फंसी है। यह उनकी यात्रा को पुण्य गृहिणी होने से लेकर ’सुमंगली’ होने तक, वाराणसी के कोठों में एक दरबार के रूप में दर्शाता है। सुमैक उसे कैसे छुड़ाएगा?

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बीसवीं सदी के अंत में देश में प्रचलित सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए, मुंशी प्रनेशचंद के सेवासदन (1918) में सुमन की मार्मिक कहानी है, जो दहेज प्रथा की बुराइयों के कारण दुखी, बेमेल विवाह में फंसी है। यह उनकी यात्रा को पुण्य गृहिणी होने से लेकर ’सुमंगली’ होने तक, वाराणसी के कोठों में एक दरबार के रूप में दर्शाता है। सुमैक उसे कैसे छुड़ाएगा?
Additional Information
Title सेवा सदन Height 198 mm
मुंशी प्रेमचंद Width 129 mm
ISBN-13 9788195025329 Binding PAPERBACK
ISBN-10 8195025329 Spine Width 15 mm
Publisher Lexicon books Pages 256
Edition Availability In Stock

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